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कविता

ओझाई

आनंद संधिदूत


जै-जैकार मनाईं
गांधी महराज के गोहराईं
जवाहिर के बोलाईं
मौलाना आजाद के कसम खाईं
कि, दोहाई भगवान बुद्ध के
राजा अशोक के
कि, जेकरा परताप के दुनिया में बाजे डंका
धजा फहराले कीरति के
फिरल दोहाई
साबरमती के
पवनार के
सदाकत आश्रम के
कि, नाँव लेत रोंआ फरफराय
जीव गनगनाय
कि, राजेंदर परसाद
सरदार पटेल
ऊलल-भूलल
छूटल-छटकल
नेता-पुरनिया के
देस-दुनिया के
कि, जेकर खाईं
ओकर जै-जैकार मनाईं
जै हो गीता-कुरान-पुरान
दोहाई बार-बार
गुरू की जै
कि, जै मौलाना मोहम्‍मद अली
तोड़ द दुसमन क नली
कि, तोहरा परताप से
ऊ गोता लगाईं
कि समुंदर सोख जाईं
कि हिमाले हींग के माफिक उड़ाईं
कि, पुरुबे रछपाल करें
सिआरदास बलिस्‍टर
पछिमे लाला लजपत राय
उतरे मदनमोहन मालवी
मोती लाल नेहरू
दखिने राजगोपालाचारी
कि, नाँव लेत बकार न आवे
काठ मार जाय
कि, फिरल दोहाईं
सरोजनी नायडू
कमला नेहरू
कस्‍तूरबा माई के
कि, तोहरा परताप से विजय पाईं
मुँहे चन्‍नन लागे
लाज रहे
चढ़ बइठीं दुसमन के कपार पर
महँगाई के झोंटा कबारीं
बेरोजगारी के लहँगा में आग लगाईं
गरीबी के नटई दबाईं
करेजा पर चढ़ बइठीं
पूछीं - बोल
हीत क कि नात क
कुल क, खूँट क
अमेरिका क, रूस क
पूरुब कि पच्छिम क

बोल कहाँ क हईं
बामत हईं कि चुरइल
सीआईए क करामात हईं
कि के जीबी क पाप हईं
कि, दोहाई बाबा बिनोबा के
कि, बोल भूदान से मनबी
कि सर्वोदय से मनबी
कि अंत्योदय से मनबी
कि, जय समाजवाद के अखाड़ा
बाजे गल-बजउअल के नगाड़ा
कि, लगाईं बैकवर्डं के तड़ातड़ चटकना
चलाईं समग्र क्रांति के गरमेगरम सिंउठा
दोहाई हिरिया-जिरिया
ट्वंटी पाइंट प्रोगराम के
छू-ऊ-ऊ-ऊ....

लौंग खड़ा हो गइल
भिलाई क लवर लागत बा
तारापुर क बिजलीघर जागत बा
थुंबा क राकेट नाचे लागल
सुबास बाबू आँखि का सामने खड़ा बाड़न
कहत बाड़न कि घरे क बामति ह
कुमति-विमति ह
चउदह सै बरिस ले तंग कइले बा
दस बरिस अउर तंग करी
परिवार-नियोजन माँगऽ तिया

अरे।
रउरा कें हईं -
दुपट्टा धइले
पगरी बन्‍हले
दोहाईं सरकार के
आइल हईं त नाँव बताईं
सेवक चिन्‍हलस ना
ओ ! ओ ! ओ !
रउरा हईं लोकयान तिलक
गोपाल कृस्‍न गोखले
महरसी अरबिंद
ए...दोहाईं-
लछिमीबाई
कुँअर सिंघ
ताँतिया टोपे के
कि, रउरा के सेवक भुलाइल नइखे
सेवा में सदो नोह जोड़ले खड़ा बा
रउरा नाँव प परैमरी इस्‍कूल खोलब
चंदा सोसैटी बनाइब
अनाथालय चलाइब
नाँव उजागिर करब
चउरा बान्‍हब
अस्‍टैचू लगाइब
बर्हम नियर पूजब
कि जेकर चून ओकर पून
हे बाबा रइछा करऽ
छार हो जर के महँगाई, बेरोजगारी, गरीबी
कि, जो तोर मुक्‍ती मनाइब
राष्‍ट्रसंघ में सेरवाइब
न्‍यूयार्क में बइठाइब
छू-ऊ-ऊ-ऊ...

हू-ऊ-ऊ-ऊ...
हई ल
ओबरा के भसम खिया दीहऽ
एक अँजुरी मथुरा-बरौनी के
रिफाइन पिया दीहऽ
नीक भइला पर
भाखड़ा नंगल में नहवा के
पाँच गो विश्‍वबैंक क इंसपेक्‍टर के
घरे भोजन करा दीहऽ
राम चहिहन
त पूरा मुलुक के राम मिल जाई !

 


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